सिद्धू मुर्मू के हूल विद्रोह को भारतीय इतिहास में मिला अहम स्थान।
Sandeep Jain - Apr 13 2025 8:32AM -
शुक्रवार को मुंडा सभा केंद्रीय समिति की ओर से स्वतंत्रता संग्राम के महानायक सिद्धू मुर्मू की जयंती पर एक भावपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत सिद्धो-कानू पार्क में हुई, जहां सभा के पदाधिकारियों ने सिद्धू-कानू की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.
मुंडा सभा के महासचिव बिलकन डांग ने इस अवसर पर कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज के दिन न तो किसी सामाजिक संगठन और न ही किसी राजनीतिक दल ने रांची में सिद्धू मुर्मू को याद किया. जिस प्रकार भगवान बिरसा मुंडा की जयंती धूमधाम से मनाई जाती है, उसी प्रकार सिद्धू मुर्मू की वीरता और बलिदान को भी उचित सम्मान मिलना चाहिए.
उन्होंने कहा कि 1855 में हुआ हूल विद्रोह भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जिसमें हजारों लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी. हमारा उद्देश्य इस महान आंदोलन और उसके नायकों की गाथा को जन-जन तक पहुंचाना है.
सभा के सचिव (प्रशासन) प्रभु सहाय सांगा ने कहा कि सिद्धू, कानू, चांद, भैरव और फूलो-झानो जैसे वीर सपूतों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आवाज उठाई थी. उनका सपना था अपनी मातृभूमि और संस्कृति की रक्षा करना.
आज हमें उनके बलिदान को याद कर उनके सपनों को जीवित रखने की आवश्यकता है. इस अवसर पर पौलूस, सोसन समद, रोयल डांग, जगरन्नाथ मुंडु, आसियान सूरीन, सोमरा होरो, दास टोपनो और आंध्ररियास लोमगा समेत कई अन्य सदस्य भी उपस्थित थे.