जन्माष्टमी पर सालों बाद बन रहा है बेहद शुभ और दुर्लभ योग, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त।

Sandeep Jain - 8/27/2024 9:08:56 AM -

नई दिल्ली. कृष्ण जन्माष्टमी 26 अगस्त को मनाई जा रही है। कहा जाता है कि द्वापर युग में भादप्रद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कंस के कारागार में भगवान कृष्ण ने देवकी के आठवें पुत्र के रूप में जन्म लिया था। तबसे हर साल जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है और लोग भगवान कृष्ण की पूजा और व्रत करते हैं। द्रिक पंचांग के अनुसार इस साल जन्माष्टमी पर पूजा का ऐसा खास संयोग बन रहा है जैसा द्वापर युग में भगवान कृष्ण के जन्म के समय बना था। इस शुभ और दुर्लभ योग में भगवान कृष्ण की पूजा करने पर पूजा का फल काफी लाभदायी होगा और जातक के मनोरथ पूरे होंगे। चलिए जानते हैं जन्माष्टमी की तिथि, पूजा का समय, शुभ संयोग और मुहूर्त के बारे में।
पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी 26 अगस्त यानी सोमवार को सुबह तीन बजकर चालीस मिनट पर आरंभ हो रही है। इस तिथि का समापन अगले दिन 27 अगस्त को सुबह दो बजकर बीस मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार जन्माष्टमी की पूजा और व्रत 26 अगस्त को रखा जाएगा। आपको बता दें कि जन्माष्टमी पर रात के समय 12 बजे भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस साल ये शुभ मुहूर्त रात 11 बजकर 59 मिनट से 12 बजकर 43 मिनट तक रहेगा। यानी लोग जन्मोत्सव की पूजा इस समय कर सकेंगे। रोहिणी नक्षत्र 26 अगस्त की शाम को 3 बजकर 55 मिनट से अगले दिन 27 अगस्त को 3 बजकर 38 मिनट तक रहेगा।
इस बार जन्माष्टमी पर द्वापर काल जैसा दुर्लभ संयोग बन रहा है। ये योग ठीक वैसा ही है जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। भगवान कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में रात 12 बजे हुआ था। इस साल भी रोहिणी नक्षत्र रात बारह बजे लग रहा है। उस वक्त चंद्रमा वृषभ राशि में विराजमान था और सूर्य सिंह राशि में विराजमान थे। इस बार भी ये ग्रह ठीक उसी स्थिति में हैं। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर अन्न दान, मुरली और मोर पंख को दान करने से जीवन में खुशहाली आती है।

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