अनुसूचित जाति समन्वय समिति ने राज्यपाल को सौंपा 7 सूत्री ज्ञापन.

Sandeep Jain - 6/13/2025 10:06:58 AM -

अखिल भारतीय अनुसूचित जाति समन्वय समिति के प्रतिनिधिमंडल ने आज गुरुवार को राजभवन में राज्यपाल को 7 सूत्रीय ज्ञापन सौंपा. समिति ने झारखंड में अनुसूचित जाति समाज की उपेक्षित समस्याओं की ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट करते हुए समाधान की मांग की.  

प्रतिनिधिमंडल ने मांग की कि राज्य की सांस्कृतिक धरोहर और नागपुरी लोक संगीत को संरक्षित एवं प्रोत्साहित करने के लिए कलाकारों को आर्थिक सहायता और सरकारी मान्यता प्रदान की जाये, ताकि यह लोक परंपरा विलुप्त न हो.

समिति ने कहा कि वर्षों से खाली पड़े अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति अविलंब की जाये, जिससे समाज को संवैधानिक अधिकारों के तहत न्याय मिल सके.

प्रतिनिधिमंडल ने शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत बीपीएल वर्ग के बच्चों को निजी विद्यालयों में निशुल्क नामांकन के लिए आय सीमा 72 हजार से बढ़ाकर 2 लाख किए जाने की मांग की,  ताकि अधिक से अधिक वंचित बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का लाभ मिल सके.

ज्ञापन में यह भी मांग की गयी है कि राज्य में अनुसूचित जाति परामर्श परिषद का गठन हो, जिससे समाज की समस्याओं पर परामर्श के साथ नीतिगत निर्णय लिए जा सकें.

प्रतिनिधिमंडल ने एकलव्य मॉडल विद्यालयों की तर्ज पर अनुसूचित जाति बहुल क्षेत्रों में आवासीय विद्यालयों के निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया. जिससे समाज के बच्चों को बेहतर शिक्षा और आवासीय सुविधा उपलब्ध हो सके.

इसके साथ ही भूमिहीन अनुसूचित जाति समुदाय के लोगों को सरल प्रक्रिया के तहत जाति, आवास व अन्य प्रमाण पत्र निर्गत किए जाने की मांग की गयी. प्रतिनिधिमंडल में उपेन्द्र रजक ,संतोष कुमार रजक, टिंकू राम, गोविंदा वाल्मीकि, राजू राम, मुकेश नायक, कारण नायक समेत अन्य शामिल थे.

रांची में आज सिविल सर्जन ऑफिस में नशा छुड़ाने के लिए चल रहे चार दिन के ट्रेनिंग प्रोग्राम का आखिरी दिन था. अब इस अभियान को और बड़ा किया जा रहा है. आज से लेकर 26 जून तक पूरे रांची जिले में नशा के खिलाफ जोरदार मुहिम चलेगी.

इस दौरान हर प्रखंड के अलग-अलग मोहल्लों, गांवों और चौक-चौराहों पर नुक्कड़ नाटक होंगे, जिसमें लोगों को तंबाकू और नशे के बुरे असर के बारे में बताया जाएगा. स्कूल-कॉलेजों में भी बच्चे और युवा ये जान पाएंगे कि नशा कैसे उनकी सेहत और जिंदगी को बर्बाद कर सकता है.

ट्रेनिंग लेकर तैयार हुए लोग अब गांव-गांव जाकर बताएंगे कि नशा कितनी बड़ी मुसीबत है. पंचायत स्तर पर बैठकों का आयोजन होगा, जहां लोग खुलकर बात करेंगे और समझेंगे कि कैसे नशा से दूरी बनाकर एक बेहतर जीवन जिया जा सकता है.

अभियान में पोस्टर, बैनर और पंपलेट भी बांटे जाएंगे, ताकि हर किसी तक ये संदेश पहुंचे. जो लोग सार्वजनिक जगहों पर नशा करते मिलेंगे, उन पर जुर्माना भी लगाया जाएगा.

डॉ. असीम मांझी ने बताया कि  नशा हमारे दिमाग और सोचने की ताकत पर असर डालता है. आज हम सबको ये संकल्प लेना चाहिए कि हम खुद भी नशा नहीं करेंगे और दूसरों को भी रोकेंगे. जब हम खुद बदलेंगे, तभी समाज बदलेगा.

जिला कार्यक्रम मैनेजर प्रवीण कुमार सिंह ने कहा कि ट्रेनिंग लेने वाले लोग अब अपने-अपने इलाके में जाकर औरों को जागरूक करेंगे. हम सबको मिलकर ये तय करना है कि हमारे गांव, मुहल्ले और शहर नशामुक्त बने.

टोबैको कंट्रोल सेल के सलाहकार सुशांत कुमार ने समझाया कि नशे की आदत बहुत जल्दी लग जाती है और बाद में छुड़ाना मुश्किल हो जाता है. इसलिए सबसे बेहतर तरीका यही है कि इससे दूर ही रहा जाए.

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