रतन टाटा के बाद कौन संभालेगा टाटा ग्रुप।

Sandeep Jain - 10/12/2024 8:25:19 AM -

नई दिल्ली। रतन टाटा समूह की कुल संपत्ति करीब 165 अरब अमेरिकी डॉलर की है. रतन टाटा के निधन के बाद अब चर्चा इस बात की है कि उनकी विरासत को कौन संभालेगा। रतन टाटा के बाद उनकी विरासत को कौन संभालेगा। रतन टाटा ने अपना उत्तराधिकारी नहीं बनाया था.ऐसे में उनके ट्रस्ट ट्रस्टियों में से ही एक अध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा. टाटा समूह के दो मुख्य मुख्य ट्रस्ट हैं- सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट । इन दोनों ट्रस्टों की संयुक्त रूप से टाटा समूह की मूल कंपनी टाटा संस में करीब 52 फीसदी हिस्सेदारी है.टाटा संस की टाटा समूह की कंपनियों का संचालन करता है. यह समूह विमानन से लेकर एफएमसीसी तक के पोर्टफोलियो को संभालता है। दोनों ट्रस्टों में कुल 13 ट्रस्टी हैं। इनमें से लोग दोनों ट्रस्टों में ट्रस्टी हैं। इनमें पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह, ऑटोमोबाइल क्षेत्र के दिग्गज वेणु श्रीनिवासन,रतन टाटा के सौतेले भाई और ट्रेंट के चेयरमैन नोएल टाटा, व्यवसायी मेहली मिस्त्री और वकील डेरियस खंबाटा के नाम शामिल हैं।

इन ट्रस्टों में शामिल अन्य लोगों ने सिटी इंडिया के पूर्व सीईओ परमीत झावेरी सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और रतन टाटा के छोटे भाई जिमी टाटा और जहांगीर अस्पताल के सीईओ जहांगीर एचसी जहांगीर सर रतन टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं।

कैसे चुने जाते हैं इन ट्रस्टों के चेयरमैन : टाटा ट्रस्ट के प्रमुख का चुनाव ट्रस्टियों में से बहुमत के आधार पर होता है. विजय सिंह और वेणु श्रीनिवास इन दोनों ट्रस्टों के उपाध्यक्ष हैं. लेकिन इनमें से किसी एक के प्रमुख चुने जाने की संभावना अपेक्षाकृत कम है. जिस व्यक्ति को टाटा ट्रस्ट का प्रमुख बनाए जाने की अधिक संभवाना है, वो है 67 साल के नोएल टाटा. नोएल की नियुक्ति से पारसी समुदाय भी खुश होगा। रतन टाटा पारसी थे। इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि एक पारसी है इस संगठन का नेतृ्त्व करे। इस ट्रस्ट ने वित्त वर्ष 2023 में 470 करोड़ रुपये से अधिक का दान दिया था।
पारसी को प्राथमिकता: एक ऐतिहासिक तय्थ यह भी है कि केवल पारसियों ने ही टाटा ट्रस्ट की कमान संभाली है । हालांकि कुछ के नाम में टाटा नहीं लगा था और उनका ट्रस्ट के संस्थापक परिवार से कोई सीधा रिश्ता नहीं था. अगर नोएल टाटा इन ट्रस्टों के प्रमुख चुने जाते हैं तो वे सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के 11वें अध्यक्ष और सर रतन टाटा ट्रस्ट के छठे अध्यक्ष बनेंगे। नोएल चार दशक से अधिक समय से टाटा समूह से जुड़े हुए हैं। वो ट्रेंट, टाइटन और टाटा स्टील समेत छह प्रमुख कंपनियों के बोर्ड में हैं। उन्हें 2019 में सर रतन टाटा ट्रस्ट का ट्रस्टी नियुक्त किया गया था. वो 2022 में सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के बोर्ड में शामिल किए गए थे।

टाटा का कार्यकाल पूरा हो जाने के बाद माना जाता था कि वो टाटा संस के चेयरमैन का पद संभालेंगे. लेकिन उस पर नोएल के बहनोई साइरस मिस्त्री को बैठा दिया गया। टाटा संस से साइरस मिस्त्री के निकाले जाने के बाद टाटा संस के अध्यक्ष की कमान टीसीएस के सीईओ एन चंद्रशेखरन ने संभाली.नोएल और रतन टाटा कभी एक साथ नजर नहीं आए। दोनों ने अपने बीच दूरी बनाए रखी.हालांकि रतन टाटा के अंतिम दिनों में अपने सौतेले भाई से रिश्ते काफी मधुर हो गए थे।कौन नोएल टाटा : रतन टाटा के पिता नवल टाटा की दूसरी शादी सिमोन से हुई थीं. उनके बेटे नोएल टाटा, रतन टाटा के सौतेले भाई हैं. रतन टाटा की विरासत हासिल करने के लिए यह संबंध उन्‍हें एक प्रमुख दावेदार बनाता है. नोएल टाटा के तीन बच्‍चे हैं, जिनमें माया, नेविल और लीह हैं. यह रतन टाटा के उत्तराधिकारी हो सकते हैं।

माया टाटा : माया टाटा 34 साल की हैं और टाटा समूह में लगातार प्रगति कर रही हैं। बेयस बिजनेस स्‍कूल और वारविक यूनिवर्सिटी से शिक्षा हासिल करने के बद माया टाटा ने टाटा अपॉर्चुनिटीज फंड और टाटा डिजिटल में कई महत्‍वपूर्ण पदों पर काम किया है. इस दौरान माया के रणनीतिक कौशल और दूरदर्शिता ने टाटा नियो एप को लॉन्‍च करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

नेविल टाटा : नेविल टाटा की उम्र 32 साल है और वे अपने पारिवारिक बिजनेस को नई ऊंचाइयां देने में व्‍यस्‍त हैं। नेविल टाटा ने टोयोटा किर्लोस्कर समूह की मानसी किर्लोस्कर से शादी की और वह ट्रेंट लिमिटेड की प्रमुख हाइपरमार्केट चेन स्टार बाजार के प्रमुख हैं।

लीह टाटा : नोएल टाटा की सबसे बड़ी बेटी लीह टाटा 39 साल की हैं. वह टाटा समूह के हॉस्पिटेलिटी सेक्‍टर में अपनी विशेषज्ञता साबित कर रही हैं। स्पेन के आईई बिजनेस स्कूल में पढ़ीं लिआ ने ताज होटल रिसॉर्ट्स और पैलेसेस में महत्वपूर्ण योगदान दिया और पिछले दस सालों से वह होटल इंडस्‍ट्री से जुड़ी है।

माया, नेविल और लीह को टाटा मेडिकल सेंटर ट्रस्‍ट का ट्रस्‍टी बनाया गया है। पहली बार टाटा समूह से जुड़ी किसी परोपकारी संस्‍था में युवाओं को जोड़ा गया है।

जब रतन टाटा ने लिया था अपने अपमान का बदला, दिखा दी थी फोर्ड को 'औकात'।

रतन टाटा बाहर से दिखने में सरल थे, वो अंदर से उतने ही मजबूत थे. जब वो किसी काम को ठान लेते तो उसे अंजाम तक पहुंचाकर ही रहते थे. इसी से जुड़ी हुई एक बदले की कहानी है. उन्होंने फोर्ड मोटर्स के चेयरमैन से अपने अपमान का बदला बड़े ही दिलचस्प अंदाज में लिया था. 
आज टाटा मोटर्स भारत की अग्रणी कार निर्माता कंपनियों में से एक है. लेकिन इस मुकाम तक पहुंचने के लिए कंपनी को बहुत ज्यादा संघर्ष और चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. एक समय कंपनी को बहुत ज्यादा नुकसान हो रहा था और टाटा मोटर्स को अपने पैसेंजर कार बिजनेस को बेचने तक का विचार करना पड़ा था. कंपनी ने 90 के दशक में अपनी पैसेंजर कार डिवीजन को अमेरिकी कार निर्माता फोर्ड को बेचने का विचार किया था. फोर्ड के चेयरमैन बिल फोर्ड और रतन टाटा के बीच एक बैठक 1999 में हुई थी. इस बैठक में बिल फोर्ड ने अपमानजनक तरह से कहा था कि वो टाटा मोटर्स की पैसेंजर कार डिवीजन को खरीदकर उन पर एहसान कर रहे हैं. इसके बाद रतन टाटा और उनकी टीम चुपचाप भारत वापस लौट आई थी. 

फोर्ड के मालिक को सिखाया सबक।

देश वापस आने के बाद उन्होंने अपनी कार डिवीजन को बेहतर करने का फैसला किया. इसके बाद टाटा मोटर्स ने धीरे-धीरे अपने कार बिजनेस को फिर से खड़ा किया. 9 साल की कड़ी मेहनत के बाद 2008 तक टाटा मोटर्स भारत में एक सफल और लोकप्रिय ब्रांड बन गया था. इस समय तक जहां टाटा मोटर्स सफलता की नई कहानी लिख रहा था, वहीं दूसरी तरफ फोर्ड मोटर्स की हालात खराब हो गई थी. फोर्ड कंपनी को डूबने से बचाने के लिए एक बार फिर से रतन टाटा आगे आए. उन्होंने 2008 में फोर्ड की सबसे लोकप्रिय ब्रांड जैगुआर और लैंड रोवर को खरीदने का ऑफर दे डाला. इस डील के लिए रतन टाटा अमेरिका नहीं गए थे, बल्कि बिल फोर्ड की पूरी टीम भारत आई थी. 

बदल गए थे बिल फोर्ड के सुर।

इस डील के बाद बिल फोर्ड ने रतन टाटा को धन्यवाद कहा था और कहा था, "आप जैगुआर और लैंड रोवर सीरीज को खरीदकर हमपर बड़ा एहसान कर रहे हैं". इन दोनों ब्रांड्स के टाटा के अंतर्गत आने के बाद, उन्होंने भारतीय बाजार में जबरदस्त सफलता हासिल की.