- मेरठ को 35 साल से नहीं मिला केंद्रीय मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्सव
- रालोद की दस साल बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल में वापसी हुई
मेरठ । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार तीसरी बार शपथ लेकर
नया कीर्तिमान स्थापित किया है। मोदी के तीसरे कार्यकाल में भाजपा कोटे से
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ, सहारनपुर और मुरादाबाद मंडल से कोई नेता
केंद्रीय मंत्री नहीं बन पाया है। केवल रालोद अध्यक्ष जयंत सिंह को राज्य
मंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया गया है। राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) की भी
केंद्रीय मंत्रिमंडल में दस साल बाद वापसी हुई है।
प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में रालोद कोटे से जयंत सिंह को राज्य मंत्री
स्वतंत्र प्रभार बनाया गया है। इस तरह से रालोद की दस साल बाद केंद्र सरकार
में वापसी हुई है। इससे पहले जयंत के पिता अजित सिंह 2011 से 2014 तक
मनमोहन सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे थे। अजित सिंह इससे पहले वीपी
सिंह, नरसिम्हा राव, अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में भी मंत्री रहे। जयंत
सिंह के दादा चौधरी चरण सिंह भारत के प्रधानमंत्री रहे। अब जयंत सिंह के
पश्चिमी उत्तर प्रदेश से अकेले केंद्रीय मंत्री बनने से उनपर बहुत
जिम्मेदारी आ गई है। बागपत समेत पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में विकास
कार्यों को आगे बढ़ाने और सामाजिक समीकरणों को मजबूत करने का दायित्व जयंत
सिंह पर है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा का सूखा
मोदी
सरकार के तीसरे कार्यकाल में भाजपा कोटे से पश्चिमी उत्तर प्रदेश से कोई
नेता मंत्री नहीं बनाया गया है। जबकि पिछले कार्यकाल में गाजियाबाद से जनरल
वीके सिंह, मुजफ्फरनगर से संजीव बालियान और मोदी की पहली सरकार में बागपत
के सत्यपाल सिंह राज्य मंत्री बनाए गए थे। मेरठ की बात करें तो पिछले 35
साल से कोई नेता केंद्र सरकार में मंत्री नहीं बन पाया है। सबसे पहले मेरठ
से जनरल शाहनवाज खान केंद्रीय मंत्रिमंडल में मंत्री बनाए गए। इसके बाद
मेरठ की सांसद मोहसिना किदवई 1980 में केंद्रीय राज्य मंत्री बनी। 1984 में
मोहसिना को दूसरी बार कैबिनेट मंत्री बनाया गया।
मेरठ से थी केंद्रीय मंत्री बनाने की उम्मीद
मेरठ
से राज्यसभा सदस्य डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेयी को केंद्रीय मंत्रिमंडल में
शामिल करने की उम्मीद थी, लेकिन भाजपा कार्यकर्ताओं को निराशा हाथ लगी।
मेरठ से नवनिर्वाचित सांसद अरुण गोविल को भी मंत्री बनाए जाने की संभावनाएं
पार्टी नेता जता रहे थे। नोएडा से रिकॉर्ड वोटों से जीते पूर्व केंद्रीय
मंत्री डॉ. महेश शर्मा को भी निराशा हाथ लगी।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए महत्वपूर्ण था यह अवसर
2024
के लोकसभा चुनावों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मेरठ, सहारनपुर और
मुरादाबाद मंडल में भाजपा को मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर और अमरोहा
लोकसभा सीटों पर जीत हासिल हुई। जबकि रालोद ने बागपत और बिजनौर लोकसभा
सीटें जीती। ऐसे में इन तीनों ही मंडल में पार्टी की स्थिति को मजबूत करने
के लिए भाजपा के किसी नेता को मंत्री बनाए जाने की संभावनाएं थी, लेकिन ऐसा
नहीं हो पाया।