झारखंड पुलिस में जल्द ही दिखेंगे नए चेहरे, जानिए क्या है डीजीपी का मास्टर प्लान।

Sandeep Jain - 9/14/2024 10:32:58 AM -

रांचीः झारखंड डीजीपी का पदभार संभालने के साथी अनुराग गुप्ता पुलिसिंग सुधारने में लगे हुए हैं। क्राइम कंट्रोल करने और लोगों को जागरूक करने के लिए लगातार वो नए-नए एक्सपेरिमेंट भी कर रहे हैं। इसी में झारखंड में पहली बार दो दिवसीय महिला पुलिस सम्मेलन का आयोजन भी किया गया था। साथ ही पुलिस को कंप्लेन के लिए क्यूआर कोड शहर के ऑटो, बस समेत बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और सार्वजनिक स्थलों पर लगाए गए। जनता की समस्याओं के लिए जन शिकायत समाधान कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें आईजी, डीआईजी, एसएसपी, एसपी, डीएसपी लेवल के अधिकारियों ने जनता की समस्याओं को सुना।

थानों में होंगी महिला मुंशी।

अब डीजीपी की एक और योजना है कि झारखंड पुलिस की महिलाओं को अग्रिम पंक्ति में लाने के लिए थानों में महिला मुंशी को नियुक्त किया जाएगा। जल्द ही पुलिस मुख्यालय महिला मुंशी की ट्रेनिंग कराने की तैयारी में है। ताकि महिला थाना सशक्त हो सके। डीजीपी मानते हैं कि इसके लिए गृह सचिव की तरफ से भी सपोर्ट मिल रहा है। वह झारखंड राज्य की पहली गृह सचिव हैं। जिन्होंने महिला थाने में जाकर वहां की बदहाली को खुद देखा है।

महिला थाना को सशक्त करना प्राथमिकता।

डीजीपी अनुराग गुप्त ने कहा है कि महिला थाना को सशक्त करना उनकी प्राथमिकता है। वह महिला थाना को ऐसा बिंदु बनाना चाहते हैं कि जिले की दुखियारी महिला, जो महिलाएं थानों के चक्कर लगाती रही है, वरीय थाना पदाधिकारी के चक्कर लगाने को मजबूर होती हैं। उनकी समस्याओं का समाधान महिला थाना करेगी। अगर महिलाओं के साथ छेड़खानी और बदतमीजी होती है। तो उनके खिलाफ कार्रवाई महिला थाना करेगी।

राज्य को बनाएंगे क्राईम अगेंस्ट वूमेन फ्री।

महिला थाना और महिला सशक्तीकरण को डीजीपी ने खुद के लिए आइटम नंबर वन बताया है। वह कोशिश करेंगे कि इस राज्य को क्राईम अगेंस्ट वूमेन फ्री बनाए। उन्होंने उम्मीद जताई है कि महिला थाना और महिला पुलिस को सशक्त बनाने में वह जरूर सफल होंगे। उन्होंने कहा कि समस्या के समाधान करने का पहला स्टेप समस्या को चिन्हित करना है। वह झारखंड पुलिस ने कर लिया है।

महिला थाने को कारगर बनाने का किया जा रहा काम।

महिला थाना जितना उपयोगी और कारगर होना चाहिए। उतना नहीं है। इसे कारगर बनाने को लेकर काम किया जा रहा है। नॉर्मल थाने में गाड़ी हो या ना हो महिला थाने में गाड़ी होनी चाहिए। महिलाओं के लिए शौचालय होनी चाहिए। महिलाओं की बात सुनने के लिए एक महिला पुलिस होनी चाहिए।

इन्हें मिलेगी पहले नियुक्ति।

महिला मुंशी के लिए अब तक 1000 आवेदन आए है। फार्म में साफ-साफ लिखा गया था कि फॉर्म वहीं महिला पुलिस भरें जो 12 से 14 घंटे थाने में काम करने को तैयार है। फॉर्म भरने की तिथि को और बढ़ाया गया है। जो सबसे अच्छी महिला पुलिस सबसे ज्यादा मेहनत करने वाली, हिंदी और अंग्रेजी में दक्ष, कंप्यूटर की जानकर और कानून की जानकारी रखने वाली,कार्यालय में काम कर चुकीं महिला पुलिस को पहले नियुक्त किया जाएगा।

थाने का चेहरा हो एक महिला पुलिस।

किसी भी थाने की धुरी थाने का मुंशी होता है। जो पूरा समय थाने में रहता है। 90 प्रतिशत लोगों की मुलाकात थाना के मुंशी से ही होती है। इसलिए डीजीपी चाहते हैं कि वहां एक महिला का चेहरा रहे। जो संवेदनशीलता के साथ आने वाले लोगों से समस्याएं सुन समाधान के लिए कार्रवाई करें।