अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव जिला विद्यालय, समृद्ध इतिहास से उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ते कदम.
Sandeep Jain - 6/8/2025 10:53:26 AM -2.jpeg)
रांची: झारखंड की राजधानी रांची के मध्य स्थित एक विद्यालय इन दिनों शिक्षा की दुनिया में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है. यह स्कूल 'अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव जिला विद्यालय' है. जिसकी स्थापना 186 वर्ष पहले 1839 में हुई थी. समय की धारा में कई संस्थान धूमिल हो जाते हैं, लेकिन रांची का यह स्कूल अपने ऐतिहासिक गौरव के साथ आज भी जीवंत है और अब आधुनिकता की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है.
इतिहास से जुड़ी विरासत.
विद्यालय का नाम खुद में ही इतिहास समेटे हुए हैं. अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव, झारखंड के महान स्वतंत्रता सेनानी थे. जिन्होंने 1857 की क्रांति में वीरता से हिस्सा लिया था. उन्हीं के सम्मान में इस विद्यालय को यह नाम दिया गया है. भारत की स्वतंत्रता संग्राम की गूंज इस विद्यालय के प्राचीन गलियारों में आज भी महसूस की जा सकती है, जहां कभी राष्ट्रभक्तों ने शिक्षा प्राप्त की और स्वतंत्रता के स्वप्न देखे.
नए युग की शुरुआत, मुख्यमंत्री उत्कृष्ट विद्यालय की पहचान.
31 जुलाई 2021 को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा राज्य के 80 सरकारी विद्यालयों को 'मुख्यमंत्री उत्कृष्ट विद्यालय' के रूप में विकसित करने की घोषणा की गई. इस ऐतिहासिक पहल के अंतर्गत यह विद्यालय भी शामिल हुआ. यहीं से इसके कायाकल्प की प्रक्रिया शुरू हुई. विद्यालय को अब सीबीएसई पैटर्न पर संचालित किया जा रहा है. जिससे यहां की शिक्षा प्रणाली में अभूतपूर्व सुधार आया है.
स्कूल में सुधार के नतीजे अब सामने आने लगे हैं. हाल ही में आयोजित दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं में विद्यालय ने शत प्रतिशत रिजल्ट दर्ज कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है. एक तरफ जहां पहले सरकारी विद्यालयों के परिणामों को लेकर संशय रहता था, वहीं अब यह विद्यालय उत्कृष्टता का मिसाल बन गया है. यह परीक्षा परिणाम सिर्फ आंकड़े नहीं, बल्कि एक बदली हुई सोच, बेहतर नेतृत्व और समर्पित शिक्षकों के परिश्रम का परिणाम है.
अत्याधुनिक सुविधाएं.
आज यह विद्यालय स्मार्ट एडुकेशन का एक सशक्त उदाहरण बन चुका है. यहां की सुविधाएं किसी भी प्रतिष्ठित निजी स्कूल को मात देने में सक्षम हैं. इस स्कूल में मैथ्स, फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी लैब्स और प्रैक्टिकल आधारित शिक्षा पर बल दिया जाता है.
डिजिटल क्लासरूम और शारीरिक व्यवस्था.
स्कूल में डिजिटल क्लासरूम मौजूद हैं. जिसमें स्मार्ट बोर्ड, प्रोजेक्टर और इंटरएक्टिव शिक्षण विधियां अपनाई जाती हैं. इसके साथ ही आईटी लैब और कंप्यूटर शिक्षा को लेकर छात्रों में विशेष उत्साह देखा जा रहा है. विद्यालय में लाइब्रेरी भी मौजूद है, जहां आधुनिक और शैक्षणिक किताबों का समृद्ध संग्रह है. बच्चों के लिए खेलकूद, सांस्कृतिक गतिविधियां, शारीरिक विकास और व्यक्तित्व निर्माण के लिए भी पूरा ध्यान दिया जा रहा है.
इन सुविधाओं के कारण अब इस सरकारी विद्यालय में पढ़ने की चाह रखने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. स्थिति यह है कि हर वर्ष नामांकन के लिए भीड़ उमड़ रही है. इस बार के सत्र में कई प्राइवेट स्कूलों से पास आउट छात्र, अब यहां दाखिला लेना चाहते हैं.
विद्यालय की प्राचार्य यासमीन गैलेरिया पिछले 13 वर्षों से 'अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव विद्यालय' से जुड़ी हैं. उन्होंने इस संस्थान में पहले शिक्षक के रूप में कार्य शुरू किया और अब वे प्रशासनिक नेतृत्व संभाल रही हैं. उनके नेतृत्व में न सिर्फ विद्यालय का भौतिक और एकेडमिक विकास हुआ है, बल्कि एक सकारात्मक और अनुशासित वातावरण भी निर्मित हुआ है.
प्राचार्य ने बताया कि यह विद्यालय केवल शिक्षा का केंद्र नहीं, बल्कि छात्रों के समग्र विकास का मंच है. उन्होंने कहा कि विद्यालय निजी स्कूलों की तरह संसाधन और अवसर देने के लिए प्रतिबद्ध है.
सरकार की प्राथमिकता में शामिल.
झारखंड सरकार इस विद्यालय को विशेष महत्व दे रही है. इसकी प्रगति रिपोर्ट लगातार राज्य शिक्षा विभाग द्वारा मॉनिटर की जाती है. मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री दोनों इस बात को लेकर सजग हैं कि उत्कृष्ट विद्यालयों को केवल नाम से नहीं, बल्कि व्यवस्था और गुणवत्ता से भी श्रेष्ठ बनाना है.
बदल रही सोच, सरकारी स्कूल बन रही पहली पसंद.
एक समय था जब सरकारी स्कूल को अंतिम विकल्प माना जाता था. लेकिन आज 'अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव जिला विद्यालय' जैसे स्कूलों ने यह धारणा तोड़ दी है. निजी स्कूलों की महंगी फीस, शिक्षा में व्यवसायीकरण और संसाधनों की असमानता के बीच यह विद्यालय मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए आशा की किरण बन गया है. अब समाज सरकारी स्कूलों को एक सशक्त विकल्प मानने लगा है और यह बदलाव किसी क्रांति से कम नहीं है.
अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव जिला विद्यालय' आज सिर्फ एक विद्यालय नहीं, बल्कि झारखंड में सरकारी शिक्षा प्रणाली के पुनर्जागरण का प्रतीक बन चुका है. जहां कभी इतिहास लिखा गया था, वहीं अब भविष्य गढ़ा जा रहा है. यह विद्यालय दिखा रहा है कि अगर इच्छाशक्ति और समर्पण हो तो सरकारी संस्थान भी चमक सकते हैं और बच्चों को उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जा सकते हैं.